Saturday, June 2, 2012

वर्षा गीत

वर्षा गीत 

आते ही वर्षा के
खेत लहलहा उठे।
प्यास से आकुल पंछी
देखो चहचहा उठे।
 
गाँव गाँव में गयी,
दौड़ खुशी की लहर।
आसमाँ में भूरे-भूरे
बादलों को देखकर।
 
धरती की प्यास बुझी,
ताल तलैया भरे।
चारों ओर पड़ने लगीं
रिमझिम-रिमझिम फुहारें।
 
घर आँगन व खेत सब,
हो गये तर बतर।
चारों ओर गूँजने लगी,
मेंढकों की टर्र-टर्र।
 
सूखे की चिंता मिटी,
पुनः जीवन दान मिला।
हर किसाँ को अपने-अपने,
परिश्रम का ईनाम मिला।

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