अनुराग तिवारी
Monday, June 4, 2012
सरिता
सरिता
देखो कितनी सुन्दर लगती,
सरिता की है धार धवल।
कल कल का संगीत सुनाती,
बहती रहती है अविरल।
कल कल की ध्वनि में है इसकी,
जीवन का संगीत बसा।
मानो कहती आगे बढ़ना,
बढ़ते रहना, कभी न रुकना।
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