Saturday, June 2, 2012

तारे


तारे

सुबह होते ही ये सब तारे,
छिपने कहाँ चले जाते हैं।
रात होते ही फिर ये तारे,
चले कहॉँ से आते हैं।
हमें है लगता ये सब तारे,
सूरज से घबराते हैं।
रात समय ये चंदा से आ,
अपनी व्‍यथा सुनाते हैं।

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