युद्ध
इस दुनिया में
युद्ध से क्या घबराना;
यहाँ -
जन्म से मृत्यु तक
लड़ना पड़ता है
एक युद्ध।
युद्ध अनवरत चलता रहता है
कभी वैचारिक अन्तर्द्वन्द्वों का रूप धर
मन के भीतर,
कभी बाहर।
इस दुनिया में
जब
साथ साथ हैं;
सत्य - असत्य,
ब्रह्म - माया ,
अच्छाई - बुराई,
न्याय - अन्याय,
तब
युद्ध तो अनिवार्य है।
निरपेक्ष
कोई नहीं रह सकता,
रहना भी नहीं चाहिए।
इस दुनिया में
शान्ति;
एक दार्शनिक विचार अधिक है,
हकीकत कम।
शान्ति स्थापित करने के लिए भी
हमें लड़ना पड़ता है
एक युद्ध।
हाँ,
फ़ैसला हमें करना है,
हम किसके साथ हैं,
किसके विरुद्ध।
इस दुनिया में
युद्ध से क्या घबराना;
यहाँ -
जन्म से मृत्यु तक
लड़ना पड़ता है
एक युद्ध।
युद्ध अनवरत चलता रहता है
कभी वैचारिक अन्तर्द्वन्द्वों का रूप धर
मन के भीतर,
कभी बाहर।
इस दुनिया में
जब
साथ साथ हैं;
सत्य - असत्य,
ब्रह्म - माया ,
अच्छाई - बुराई,
न्याय - अन्याय,
तब
युद्ध तो अनिवार्य है।
निरपेक्ष
कोई नहीं रह सकता,
रहना भी नहीं चाहिए।
इस दुनिया में
शान्ति;
एक दार्शनिक विचार अधिक है,
हकीकत कम।
शान्ति स्थापित करने के लिए भी
हमें लड़ना पड़ता है
एक युद्ध।
हाँ,
फ़ैसला हमें करना है,
हम किसके साथ हैं,
किसके विरुद्ध।