ऐ देश के युवाओं
ऐ देश के युवाओं,
आगे कदम बढ़ाओ।
अपने को एक करके,
स्वदेश को बचाओ।
आगे कदम बढ़ाओ।
अपने को एक करके,
स्वदेश को बचाओ।
कर्णधार हो तुम्हीं देश के,
तुम्हीं देश के माझी।
मझधार में है कश्ती,
कहीं आ न जाये आँधी।
डूबे कहीं न जाकर,
नेकी की ये नैया।
साहिल पे खींच लाना,
तुम ही रहे खिवैया।
मेरे वतन के प्यारों,
जागो तुम औ' जगाओ।
ऐ देश के युवाओं,
आगे कदम बढ़ाओ।
तुम्हीं देश के माझी।
मझधार में है कश्ती,
कहीं आ न जाये आँधी।
डूबे कहीं न जाकर,
नेकी की ये नैया।
साहिल पे खींच लाना,
तुम ही रहे खिवैया।
मेरे वतन के प्यारों,
जागो तुम औ' जगाओ।
ऐ देश के युवाओं,
आगे कदम बढ़ाओ।
माना बहुत कठिन हैं,
जीवन की ये राहें।
लेकिन कदम तुम्हारे,
हर्गिज़ न डगमगायें।
धैर्य को चुनौती,
ये कौन दे रहा है।
रोड़ा तुम्हारी राह में,
यह कैसा आ अड़ा है।
दुनियाँ की सारी बंदिश,
तुम तोड़ कर दिखाओ।
ऐ देश के युवाओं,
आगे कदम बढ़ाओ।
जीवन की ये राहें।
लेकिन कदम तुम्हारे,
हर्गिज़ न डगमगायें।
धैर्य को चुनौती,
ये कौन दे रहा है।
रोड़ा तुम्हारी राह में,
यह कैसा आ अड़ा है।
दुनियाँ की सारी बंदिश,
तुम तोड़ कर दिखाओ।
ऐ देश के युवाओं,
आगे कदम बढ़ाओ।
गोद में जिसकी खेल-खेल कर,
इतने बड़े हुए हो।
खाते हो अन्न तुम जिसका,
जल जिसका पीते हो।
उठो, सुनो, उस मातृभूमि की
करुणा भरी पुकार।
शीश दान कर दो तुम रण में,
यही वक्त की माँग।
गौरवमय इतिवृत्तों पर,
धब्बे न तुम लगाओ।
ऐ देश के युवाओं,
आगे कदम बढ़ाओ।
है कार्य कौन ऐसा,
जिसको न साध लो तुम।
मंज़िल है कौन ऐसी,
जिसको न पा सको तुम।
स्वदेश सेवा ही हो,
सच्चा धर्म तुम्हारा।
दीन रक्षा ही हो,
पुनीत कर्म प्यारा।
अपने हों या पराये,
सबको गले लगाओ।
ऐ देश के युवाओं,
आगे कदम बढ़ाओ।
इतने बड़े हुए हो।
खाते हो अन्न तुम जिसका,
जल जिसका पीते हो।
उठो, सुनो, उस मातृभूमि की
करुणा भरी पुकार।
शीश दान कर दो तुम रण में,
यही वक्त की माँग।
गौरवमय इतिवृत्तों पर,
धब्बे न तुम लगाओ।
ऐ देश के युवाओं,
आगे कदम बढ़ाओ।
है कार्य कौन ऐसा,
जिसको न साध लो तुम।
मंज़िल है कौन ऐसी,
जिसको न पा सको तुम।
स्वदेश सेवा ही हो,
सच्चा धर्म तुम्हारा।
दीन रक्षा ही हो,
पुनीत कर्म प्यारा।
अपने हों या पराये,
सबको गले लगाओ।
ऐ देश के युवाओं,
आगे कदम बढ़ाओ।