अनुराग तिवारी
Friday, June 22, 2012
शेर
शेर
ख़्वा
हिशों में मसरूफ़, दो पल, खुद के लिए भी निकाल,
क्या जिया, अगर दो पल, अपने लिए न जी पाया।
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