भजन
हे प्रभु, किस विधि तेरे गुण गाऊँ ।
हे प्रभु, कैसे तेरी शरण में आऊँ।
हे प्रभु, किस विधि तेरे गुण गाऊँ ।
हे प्रभु, कैसे तेरी शरण में आऊँ।
इस जग में नहीं है कोई अपना,
यहाँ पर है सब कुछ बस छलना,
तू ही बस मेरा शुभ चिन्तक,
बता तुझे कैसे मैं पाऊँ।
किस विधि मैं करूँ तेरा पूजन,
किस विधि करूँ मैं अर्चन,
खैर हे प्रभु, तू तो अचिन्त्य है,
बस मैं शीश नवाऊँ।
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