Monday, May 13, 2013

सिंधु लहरें

सिंधु लहरें
 
क्यूँ विकल हैं,
सिंधु लहरें,
खोज में,
अपने किनारों की।

नीली नीली,
वेगवती,
लहरें उठतीं गिरतीं,
उन्मादग्रस्त हो
दौड़ लगातीं,
तट की ओर।
करतीं विलास,
उन्मुक्त हास,
गुंजायमान
चहुँ ओर।

दूर कर
सब विकार,
हो जातीं
श्वेत फेनिल,
चरण धोकर
समा जातीं
हैं किनारों में।

संसार सागर की
लहर हम,
काश! हम भी
खोज पाते,
अपने किनारे को,
मिल पाता
विश्राम। 

Wednesday, May 8, 2013

अच्छा है

अच्छा है
 
जीवन में कुछ तकलीफ़ें हैं, अच्छा है।
याद तुम्हारी बनी हुई है, अच्छा है।

कल का सुनहरा ख़्वाब सजाना, अच्छा
है
पूरा हो कोई
ख़्वाब पुराना, अच्छा है।

बीती कड़वी बात भुलाना, अच्छा है।
प्रेम भाव से समय बिताना, अच्छा है।

छत पर उसका आना जाना, अच्छा है।
बचपन का वो यार पुराना, अच्छा है।

बूढ़ों की लाठी बन जाना, अच्छा है।
बच्चों को सद्मार्ग दिखाना, अच्छा है।

हरे भरे कुछ पेड़ लगाना, अच्छा है।
नदियों को कूड़े से बचाना, अच्छा है।

शुद्ध हवा यदि मिल पाये तो, अच्छा है।
दीपक से दीपक जल जाये, अच्छा है।

भूखे को रोटी मिल जाये, अच्छा है।
प्यासे को पानी मिल जाये, अच्छा है।

नंगे को कुछ वस्त्र मिलें तो, अच्छा है।
बेघर को इक छत मिल जाये, अच्छा है।

जीवन पथ में चलते जाना, अच्छा है।
प्रभु का चिन्तन करते जाना, अच्छा है।

Thursday, May 2, 2013

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी 

कभी सौतन, कभी सहेली है।

 ज़िन्दगी एक पहेली है।

है काँटों की सेज कभी,
कभी फूलों का गुलदस्ता है।
आँसू से भीगी डगर कभी,
कभी मुस्कानों का बस्ता है।
कभी उबाऊ लगती है,
कभी दुल्हन नयी नवेली है।
कभी सौतन, कभी सहेली है।

 ज़िन्दगी एक पहेली है।

कभी महलों की ये रानी है,
कभी दुर्दिन, करूण कहानी है।
हैं इसके रंग और रूप कई,
कभी ठहरी, कभी रवानी है।
नित नये कलेवर बदलने वाली,
यह जीवन ऋतु अलबेली है।
कभी सौतन, कभी सहेली है।

 ज़िन्दगी एक पहेली है।