Sunday, January 12, 2014

मज़ा ज़िन्दगी का.....

 मज़ा ज़िन्दगी का.....

मज़ा ज़िन्दगी का लिए जा रहा हूँ। 
जैसी भी है ये, जिए जा रहा हूँ।

गिला है न शिकवा, मुझको किसी से,
पिलाता है वो, मैं पिये जा रहा हूँ

मेरी अर्ज़ सुनना, है काम तेरा,
ये फितरत है मेरी, किए जा रहा हूँ।

बहुन सर्द है आज बाहर का मौसम,
मै चादर पुरानी सिये जा रहा हूँ।

मयस्सर है मुश्किल से दो जून रोटी,
मैं दिन रात मेहनत किये जा रहा हूँ।