हर रंग तुम्हारा है
हर रंग तुम्हारा है।
हर राग तुम्हारा है।
देखूँ मैं जिधर भी अब,
तेरा ही नज़ारा है।
इन्सान की क्या हस्ती
ग़र तेरा न सहारा है।
क्यूँ लड़ते रहे अब तक,
क्या मेरा तुम्हारा है।
भूला हुआ है तुझको
किस भ्रम में बेचारा है।
इक तू ही मेरी मंज़िल,
तेरा ही सहारा है।
अब तेरे हवाले हम,
कर, जो तुझको गवारा है।
हर रंग तुम्हारा है।
हर राग तुम्हारा है।
देखूँ मैं जिधर भी अब,
तेरा ही नज़ारा है।
इन्सान की क्या हस्ती
ग़र तेरा न सहारा है।
क्यूँ लड़ते रहे अब तक,
क्या मेरा तुम्हारा है।
भूला हुआ है तुझको
किस भ्रम में बेचारा है।
इक तू ही मेरी मंज़िल,
तेरा ही सहारा है।
अब तेरे हवाले हम,
कर, जो तुझको गवारा है।
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