Friday, June 22, 2012

माँ की याद

माँ की याद

माँ, याद तुम्‍हारी आई।

कभी रुलाती, कभी समझाती,
जीने की है राह बताती,
कभी तुलसी का चौरा लगती,
कभी मानस की चौपाई।
माँ, याद तुम्‍हारी आई।
 
जब-जब मेरे कदम डिगे,
आगे बढ़ तुमने थाम लिया,
धीरज धर आगे बढ़ने की
बात हमेशा सिखलाई।
माँ, याद तुम्‍हारी आई।

अपने ग़म-आँसू दबा छिपा,
दी दूर-दृष्‍टि की सीख हमें।
दया, धर्म, करुणा, क्षमा
की मूरत थी तू माई।
माँ, याद तुम्‍हारी आई।

मुझे गर्व है तुम जैसी
माता का बेटा होने पर,
देती है तेरी याद बढ़ा,
इस छाती की चौड़ाई।
माँ, याद तुम्‍हारी आई।

कभी-कभी सपने में आ,
मुझको दर्शन दे जाना माँ।
है पता मुझे, अब सच में तू
नहीं पड़ेगी दिखलाई।
माँ, याद तुम्‍हारी आई।

No comments:

Post a Comment