गज़ल
फिसलन भरी डगर में, कहीं मैं भटक न जाऊँ
ऐ रब मुझे बचाना, डरने लगा हूँ मैं।
तेरे इश्क में दीवाना, यूँ ही रहूँ हमेशा,
मेरे सामने ही रहना, तेरे सामने हूँ मैं।
जीने नहीं है देती, दुनिया किसी तरह से
तेरे हर इक करम पे, मरने लगा हूँ मैं।
बाहर की मौज झूठी, भीतर का मौन सच्चा
अब कर नजर इनायत, सँवरने लगा हूँ मैं।
जब तक रहूँ सफर में, मेरी बाँह थामे रखना,
दुनिया के इस भरम में, भटकने लगा हूँ मैं।
ऐ रब मुझे बचाना, डरने लगा हूँ मैं।
तेरे इश्क में दीवाना, यूँ ही रहूँ हमेशा,
मेरे सामने ही रहना, तेरे सामने हूँ मैं।
जीने नहीं है देती, दुनिया किसी तरह से
तेरे हर इक करम पे, मरने लगा हूँ मैं।
बाहर की मौज झूठी, भीतर का मौन सच्चा
अब कर नजर इनायत, सँवरने लगा हूँ मैं।
जब तक रहूँ सफर में, मेरी बाँह थामे रखना,
दुनिया के इस भरम में, भटकने लगा हूँ मैं।
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