Wednesday, June 20, 2012

बचपन

बचपन

देखता हूँ जब कभी भी
छोटे छोटे इन बच्चों को,
यादें अपने बचपन की
हैं घेरे लेतीं मन को।

मस्ती भरे वे दिन बचपन के
हैं याद बहुत ही आते,
संगी-साथी के संग दिन भर
हम भी थे मौज उड़ाते।

दिन भर खेला करते थे हम
तन मन में चंचलता थी,
ऊँच नीच का भेद नहीं था
नहीं कोई चिन्ता थी।

नित्य समय से उठते, पढ़ते,
शाला थे हम जाते,
रातों को थे परी कथाएँ
बाबा हमें सुनाते।

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