बचपन
देखता हूँ जब कभी भी
छोटे छोटे इन बच्चों को,
यादें अपने बचपन की
हैं घेरे लेतीं मन को।
मस्ती भरे वे दिन बचपन के
हैं याद बहुत ही आते,
संगी-साथी के संग दिन भर
हम भी थे मौज उड़ाते।
दिन भर खेला करते थे हम
तन मन में चंचलता थी,
ऊँच नीच का भेद नहीं था
नहीं कोई चिन्ता थी।
नित्य समय से उठते, पढ़ते,
देखता हूँ जब कभी भी
छोटे छोटे इन बच्चों को,
यादें अपने बचपन की
हैं घेरे लेतीं मन को।
मस्ती भरे वे दिन बचपन के
हैं याद बहुत ही आते,
संगी-साथी के संग दिन भर
हम भी थे मौज उड़ाते।
दिन भर खेला करते थे हम
तन मन में चंचलता थी,
ऊँच नीच का भेद नहीं था
नहीं कोई चिन्ता थी।
नित्य समय से उठते, पढ़ते,
शाला थे हम जाते,
रातों को थे परी कथाएँ
बाबा हमें सुनाते।
रातों को थे परी कथाएँ
बाबा हमें सुनाते।
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