ऊबता मन
अपनी बनाई भीत के
भीतर फँसे हम।
ऊबता मन।
भोग मय जीवन बना
आदर्श अपना,
अर्थ अर्जन बन गया बस
लक्ष्य अपना।
अजानी और अंधी दौड़ के
भागी बने हम।
ऊबता मन।
बुन लिया हमने चतुर्दिक
एक कृत्रिम जाल,
भूल बैठे सहज जीवन,
अब बुरा है हाल।
अँधेरी सुरंग के
गामी बने हम।
ऊबता मन।
अपनी बनाई भीत के
भीतर फँसे हम।
ऊबता मन।
भोग मय जीवन बना
आदर्श अपना,
अर्थ अर्जन बन गया बस
लक्ष्य अपना।
अजानी और अंधी दौड़ के
भागी बने हम।
ऊबता मन।
बुन लिया हमने चतुर्दिक
एक कृत्रिम जाल,
भूल बैठे सहज जीवन,
अब बुरा है हाल।
अँधेरी सुरंग के
गामी बने हम।
ऊबता मन।