मुक्तक
(1)
मैं तुझमें फ़ना हो जाऊँ सनम,
ये अंजामे मुहब्बत मेरा हो।
बच रहें निशाँ कुछ क़दमों के ,
जिन्हें देख ज़माना इश्क करे।
ये अंजामे मुहब्बत मेरा हो।
बच रहें निशाँ कुछ क़दमों के ,
जिन्हें देख ज़माना इश्क करे।
(2)
आयी जो तेरी याद तो हम रो लिए कभी,
तेरी नज़दीकियों के एहसास ने कभी मुझको हँसा दिया।
हैरान हूँ मैं आज खुद अपने ही हाल पर,
तेरे इश्क ने मुझे कैसा दीवाना बना दिया।
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