गज़ल
प्यार की बात करें, नेह की बरसात करें।
गिरा के बीच की सब दीवारें, इन्सानियत की बात करें।
इन्सानी रिश्तों के बीच जमी बर्फ़ तभी पिघलेगी,
खुले दिमाग से मिल बैठ के जब बात करें।
कहो कुछ तुम भी, कुछ हम भी अपनी बात कहें,
रहें कुछ दूर भले, हँस के मुलाकात करें।
खुदा ने बख्शी है हमें नेमत चन्द साँसों की,
गिले शिकवों में न वक्त को बरबाद करें।
गिरा के बीच की सब दीवारें, इन्सानियत की बात करें।
इन्सानी रिश्तों के बीच जमी बर्फ़ तभी पिघलेगी,
खुले दिमाग से मिल बैठ के जब बात करें।
कहो कुछ तुम भी, कुछ हम भी अपनी बात कहें,
रहें कुछ दूर भले, हँस के मुलाकात करें।
खुदा ने बख्शी है हमें नेमत चन्द साँसों की,
गिले शिकवों में न वक्त को बरबाद करें।
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