Tuesday, November 20, 2012

हे वीर सैनिकों तुम्हें नमन

हे वीर सैनिकों तुम्हें नमन

धरती पर और अम्बर में,
पर्वत पर और समन्दर में,
हो डटे राष्ट्र की रक्षा में,
हे वीर सैनिकों तुम्हें नमन।

दिवस हो कि रात हो
हिम, शीत, झंझावात हो,
रेत का गुबार हो,
वर्षा की मार हो,
कदम कभी डिगे नहीं,
नजर कभी हटे नहीं,
सरहदें बची रहें,
हम रहें कि ना रहें,
ऐसे अविचल, दृढ़ प्रतिज्ञ
सीमा के वीरों तुम्हें नमन।
हे वीर सैनिकों तुम्हें नमन।

जाने कितनी ऋतुएँ बीतीं,
बीत गये तीज त्योहार,
माँ, बाबू और बीबी बच्चे,
रस्ता देख रहे घर द्वार।
सबसे च्युत, कर्तव्य मार्ग पर
चलते तुम अविकल, अविराम,
हो निश्चिन्त तुम्हारे दम पर
कर पाते हैं हम विश्राम।
है कृतज्ञ यह राष्ट्र तुम्हारा
करता शत कोटि नमन।
हे वीर सैनिकों तुम्हें नमन।

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