मैं पथिक
मैं पथिक अविरल चरण चलता रहूँ।
रंग में तेरे सदा ढलता रहूँ।
राह दुर्गम हो भले ही प्रेम की
ले तेरा अवलम्ब मैं बढ़ता रहूँ।
नागफनियों की चुभन झेलूँ मगर,
बन सुमन तव पाद तल चढ़ता रहूँ।
साँस में तेरी सुरभि हो, नाम तेरा,
नयन संपुट रूप रस छकता रहूँ।
मैं पथिक अविरल चरण चलता रहूँ।
रंग में तेरे सदा ढलता रहूँ।
राह दुर्गम हो भले ही प्रेम की
ले तेरा अवलम्ब मैं बढ़ता रहूँ।
नागफनियों की चुभन झेलूँ मगर,
बन सुमन तव पाद तल चढ़ता रहूँ।
साँस में तेरी सुरभि हो, नाम तेरा,
नयन संपुट रूप रस छकता रहूँ।
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