मन मुदित नाचे आज है
मन मुदित नाचे आज है।
बिन मेघ के बरसात है।
जीवन में जब से आये प्रिय,
गाता हृदय नव राग है।
अब प्रश्न है कुछ शेष ना,
दूजा कोई उद्देश्य ना,
तुम मिल गये, सब मिल गया,
अब शेष है कुछ क्लेश ना।
उत्फुल्ल मन बिन पंख के
अब नापता आकाश है।
मन मुदित नाचे आज है।
दृग देखना तुम्हें चाहते,
अधरों पर तेरा नाम है।
मन में भरा अनुराग है,
पुलकित हुआ हर रोम है।
बसिये मेरे मन में सदा
यह आपका आवास है।
मन मुदित नाचे आज है।
बिखरा अधर पर हास है।
मन में भरा उल्लास है।
तन वल्लरी विचकित परम
हर रोम में मधुमास है।
मधुमास यह चिर हो, सतत हो,
बस इक यही अब साध है।
मन मुदित नाचे आज है।
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