Thursday, November 8, 2012

ओ जाने वाले

ओ जाने वाले

ओ जाने वाले, बार बार मन
तुमको पास बुलाता है।

तुम कहाँ गये कुछ पता नहीं,
आती है कोई सदा नहीं,
हर आहट आस जगाती है, 
नज़रें दर पर टिक जातीं हैं,
अगला पल सूना होता है,
सब कुछ मन का बस धोखा है,
मैं जितना इसको समझाता,
यह और विकल हो जाता है।
ओ जाने वाले, बार बार मन
तुमको पास बुलाता है।

अपने सुख दुख सब साझे थे,
इक दूजे के बिन आधे थे,
कुछ ऐसा घूमा काल चक्र,
इक पलक झपी, तुम बिछुड़ गये।
जीवन की आपा धापी से,
जब भी कुछ वक्त निकलता है,
घेरे लेती है याद तेरी,
मन गुमसुम सा हो जाता है।
ओ जाने वाले, बार बार मन
तुमको पास बुलाता है।

ये कैसा संसार बनाया,
राग द्वेष व्यवहार बनाया,
दूर किया अपने से, उपर
माया का पहरा बैठाया।
अंतहीन ये जिज्ञासाएँ,
अंतहीन ये अभिलाषाएँ,
इनको पूरा करते करते
जीवन सारा चुक जाता है।
ओ जाने वाले, बार बार मन
तुमको पास बुलाता है।


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