वक्त
वक्त
एक ऐसी नदी है,
जिसमें,
सब कुछ बह जाता है।
आदमी,
उसका नाम,
उसके काम,
यहाँ तक कि
सारी कायनात।
बचता है तो सिर्फ़
वक्त
एक ऐसी नदी है,
जिसमें,
सब कुछ बह जाता है।
आदमी,
उसका नाम,
उसके काम,
यहाँ तक कि
सारी कायनात।
बचता है तो सिर्फ़
वक्त।
वही सृजन करता है,
पालता है
और
एक दिन
ले लेता है
अपने आगोश में
सबको।
सुन सको तो सुनो
उसकी आवाज़ ,
पहचान सको तो पहचानो
उसको,
क्योंकि वही है
जीवन का सार,
आद्यन्त हीन।
बाकी सब
उसके खेल खिलौने हैं,
क्षणभंगुर।
वही सृजन करता है,
पालता है
और
एक दिन
ले लेता है
अपने आगोश में
सबको।
सुन सको तो सुनो
उसकी आवाज़ ,
पहचान सको तो पहचानो
उसको,
क्योंकि वही है
जीवन का सार,
आद्यन्त हीन।
बाकी सब
उसके खेल खिलौने हैं,
क्षणभंगुर।
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