Sunday, December 8, 2013

मैं सफ़र में हूँ

मैं सफ़र में हूँ
 
मैं सफ़र में हूँ
अभी हारा नहीं हूँ।

राह कठिन है, मन्ज़िल दूर,
चलते जाना है मन्ज़ूर,
जलता दीपक, बिखरा नूर,
मत समझो मुझको मजबूर।
ज्ञात है मन्ज़िल
मैं बन्जारा नहीं हूँ।
मैं सफ़र में हूँ
अभी हारा नहीं हूँ।

जीवन है चलने का नाम,
साँसें करतीं कब विश्राम,
कर्म पथ पर हौसला रख,
बढ़ते जाना मेरा काम।
जल रहा बन दीप
अँधियारा नहीं हूँ।
मैं सफ़र में हूँ
अभी हारा नहीं हूँ।

मिलेगी जय या पराजय,
इस पर ना मेरा अधिकार,
मन के जीते जीत है,
मन के हारे हार।
हूँ थका लेकिन
मैं बेचारा नहीं हूँ।
मैं सफ़र में हूँ
अभी हारा नहीं हूँ।

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