Tuesday, December 10, 2013

नेताजी होशियार

नेताजी होशियार

राजा वह है जो जनता के
दिल पर राज करे।
उसके सुख दुख अपने समझे,
उसका काज करे।

आज बनी है सत्ता साधन
निज वैभव सन्चय का,
लूट कमाई जनता की
निज कोषों को भरने का।

अपना मत दे कर हम जिसको
अपना प्रतिनिधि चुनते हैं,
वह मदान्ध हो जाता है,
हम केवल राहें तकते हैं।

पाँच बरस की अवधि निज
हित साधन में चुक जाती है,
जागता है कुम्भकर्ण, फिर
जनता याद आती है।

अब कैसे लड़ें चुनाव,
कैसे हो बेड़ा पार,
जनता को बाँटो, खड़ी करो
जाति, धर्म की दीवार।

रेवड़ी बाँटो कुछ को,
कुछ को कोरा आश्वासन,
भयभीत करो जनता को
ताकि, पुनः मिले शासन।

विकृत होती जाती है,
सोच, समझ नेताओं की,
सत्ता को जागीर समझते
अपने अपने बाऊ की।

ज्यादा दिन ना चलने वाला
है अब यह व्यापार।
जनता जाग रही है, रहना
नेताजी होशियार।

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