Thursday, May 2, 2013

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी 

कभी सौतन, कभी सहेली है।

 ज़िन्दगी एक पहेली है।

है काँटों की सेज कभी,
कभी फूलों का गुलदस्ता है।
आँसू से भीगी डगर कभी,
कभी मुस्कानों का बस्ता है।
कभी उबाऊ लगती है,
कभी दुल्हन नयी नवेली है।
कभी सौतन, कभी सहेली है।

 ज़िन्दगी एक पहेली है।

कभी महलों की ये रानी है,
कभी दुर्दिन, करूण कहानी है।
हैं इसके रंग और रूप कई,
कभी ठहरी, कभी रवानी है।
नित नये कलेवर बदलने वाली,
यह जीवन ऋतु अलबेली है।
कभी सौतन, कभी सहेली है।

 ज़िन्दगी एक पहेली है।

No comments:

Post a Comment