Tuesday, December 11, 2012

मैं निडर हूँ

मैं निडर हूँ

मैं निडर हूँ, अब किसी भी बात से डरता नहीं हूँ।
 
ज़िन्दगानी के सफ़र में,
लाख रोड़े हों डगर में,
अब न कोई फ़र्क पड़ता,
सामने तू दीख पड़ता।
हों अँधेरे लाख बाहर, फिक्र मैं करता नहीं हूँ।
मैं निडर हूँ, अब किसी भी बात से डरता नहीं हूँ।
 
फूल की है चाह ना,
अब शूल की परवाह ना,
नाम तेरा, आस तेरी,
नाव औ' पतवार मेरी।
तू ही माझी, अब भॅँवर की चाल से डरता नहीं हूँ।
मैं निडर हूँ, अब किसी भी बात से डरता नहीं हूँ।
 
जब से तूने बाँह थामी,
बदली मेरी ज़िन्दगानी,
तेरी करुणा का भिखारी,
मौन का मैं हूँ पुजारी।
अब भ्रमर की भाँति मैं हर डाल पर फिरता नहीं हूँ।
मैं निडर हूँ, अब किसी भी बात से डरता नहीं हूँ।
 
भाव अर्पित, कर्म अर्पित,
कर रहा सब कुछ समर्पित,
अब संभालो नाथ मुझको,
बस तुम्हारी आस मुझको।
अब तुम्हारी राह से मैं चाहता डिगना नहीं हूँ।
मैं निडर हूँ, अब किसी भी बात से डरता नहीं हूँ।

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