Thursday, December 6, 2012

जब तक साँसें हैं

जब तक साँसें हैं

जब तक साँसें हैं सीने में,
जी लो।
जब तक मय है मीने में,
पी लो।

माना दुनियाँ में गम हैं ढेरों यारों,
धूप छाँव का खेल यहाँ चलता रहता है।
लाख घना हो अँधियारा रातों का,
सुबह का सूरज भी रोज निकलता है।
बाँटो मत अपने ग़म,
आँसू पी लो।
जब तक साँसें हैं सीने में,
जी लो।

जीवन के हर इक पल में खुशियाँ ढूँढ़ो,
दीन, दुखी, मज़लूमों से नाता जोड़ो।
आस बनो उनकी जो जीवन से हारे हैं,
दीप बनो उनका, जिनकी राहों में अँधियारे हैं।
दिखे जहाँ अन्याय, मुखर हो,
होंठ मत सी लो।
जब तक साँसें हैं सीने में,
जी लो।

नारायण का अंश जीव है, ध्यान रहे,
उसकी सेवा ही जीवन का ध्येय रहे।
प्राणी मात्र में प्रभु को देखो, यही भजन है।
है प्रमाद ही मृत्यु, जागरण जीवन है।
जब तक जीवन है,
राम नाम रस पी लो।
जब तक साँसें हैं सीने में,
जी लो।

2 comments:

  1. यह जीवन है इस जीवन का यही है यही है रंग रूप ....आज आपकी यह पोस्ट पढ़कर मेरे ज़हन में सबसे पहले यही गीत आया।

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