अनुराग तिवारी
Monday, November 3, 2014
चंदा का दरबार
चंदा का दरबार
नीले नभ में सज गया,
चंदा का दरबार।
कुछ तारे बाराती लगते,
कुछ लगते पहरेदार।
कुछ तारे फ़रियादी भी हैं,
रोते अश्रु हज़ार।
धरती पर है हो रही
ओस बिन्दु बौछार।
1 comment:
Chaitanyaa Sharma
November 5, 2014 at 12:57 AM
प्यारी सी कविता
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प्यारी सी कविता
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