ग़ज़ल - पूछते हो.....
पूछते हो तुम पता भगवान का।
मिलना मुश्किल है यहाँ इन्सान का।
लाख मुश्किल झेलने के बाद भी,
है हौसला कायम अभी ईमान का।
हर तरफ़ कंक्रीट के जंगल उगे,
ढूँढ़ना मुश्किल हुआ मैदान का।
रुख कभी तो गाँव की भी ओर कर लें,
दर्द सुन लें खेत का, खालिहान का।
इस जहाँ में इक अकेली माँ ही है,
बिन कहे जो मन पढ़े संतान का।
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