Wednesday, August 6, 2014

लघु कविताएँ

लघु कविताएँ
 
कर सकें सब बसर,
इतना तो दे।
वरना ज़िन्दगी का बोझ न दे।
मौत दे दे
फाक़ाक़श को ऐ ख़ुदा,
मयस्सर रोटी नहीं
तो, रोग न दे।
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किसने देखा है,
क्या होता है,
फिर मौत के बाद,
हाँ,
ये ज़िन्दगी नहीं मिलती।
जी ले,
किसी के काम तो आ,
ख़ुदपरस्ती में,
ऐसी खुशी नहीं मिलती।
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संसार में हुआ
कोई भी सृजन
केवल सर्जक का नहीं होता।
सर्जक तो केवल निमित्त मात्र है।
वह होता है
सबका
सबके लिए।
ज्यों पंक्ति के अर्पित दिए।
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सम्बन्धों में
मिठास होनी चाहिए,
किन्तु इतनी भी नहीं
कि चींटे लग जाएँ।
रिश्तों में
ताज़गी और गर्मजोशी बनी रहे,
इसके लिए
कुछ फ़ासला ज़रूरी है।
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सांसारिक सम्बन्धों में
होने वाला तथाकथित प्रेम,
प्रेम नहीं होता।
कभी होता है
अल्पकालिक आकर्षण / मोह,
कभी समझौता।

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