Wednesday, February 12, 2014

मेरे मन में.....

मेरे मन में...

मेरे मन में है घनश्याम
मुझे कहीं और न जाना।
मैं हूँ सबसे धनवान,
मुझे कुछ और न पाना।
अन्तर्मन की आँखें देखें,
बाँकी छवि को आठों याम,
आती जाती साँसें बोलें
राधेश्याम, सीताराम।
चर्म चक्षुओं से मुश्किल है
हरि के दर्शन पाना।
मेरे मन में है घनश्याम
मुझे कहीं और न जाना।

No comments:

Post a Comment