Wednesday, August 28, 2013

मेरी जीवन नैया...

मेरी जीवन नैया...
 
मेरी जीवन नैया,
अब तेरे हाथ कन्हैया।
हो तुम्हीं नाव, पतवार तुम्हीं हो,
तुम ही मेरे खिवैया।

हो धार तुम्हीं, उस पार तुम्हीं,
इस जीवन का आधार तुम्हीं,
इक नाम तुम्हारा है सम्बल,
इक आस तुम्हारी है केवल।
ढूँढ़े तुझको जग जंगल में,
भूली बिसरी तेरी गैया।
मेरी जीवन नैया,
अब तेरे हाथ कन्हैया।

जन्म लिया तुमने इस जग में
जब जब घिरा अँधेरा।
पाप ताप में हुई वृद्धि औ'
लोभ मोह ने घेरा।
लो अवतार आज जन मन में,
करते ता ता थैया।
मेरी जीवन नैया,
अब तेरे हाथ कन्हैया।

1 comment:

  1. बहुत सुंदर कविता ....जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ....

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