मैं हूँ बेताब....
मैं हूँ बेताब तुमसे मिलने को।
जाँ भी बेताब है निकलने को।
खत्म होता है अब सफ़र मेरा,
सूर्य भी जा रहा है ढलने को।
रात के बाद फिर सहर होगी,
मैं रहूँगा न आँख मलने को।
मैं चला, साथ मेरे कर्म चले,
कुछ न राज़ी है साथ चलने को।
माफ़ करना मेरी खताओं को,
मैं चला अपने रब से मिलने को।
उम्दा भाव
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